🙏🏻🕉️ #हिन्दू_संस्कार 🕉️🙏🏻 #भगवान्_श्री_कृष्ण_के_जीवन_सी_जुड़ी_24_अनसुनी #बातें 1. भगवान् श्री कृष्ण के खड्ग का नाम ‘नंदक’, गदा का नाम ‘कौमौदकी’ और शंख का नाम ‘पांचजन्य’ था जो गुलाबी रंग का था। 2. भगवान् श्री कॄष्ण के परमधामगमन के समय ना तो उनका एक भी केश श्वेत था और ना ही उनके शरीर पर कोई झुर्री थीं। 3.भगवान् श्री कॄष्ण के धनुष का नाम शारंग व मुख्य आयुध चक्र का नाम ‘ सुदर्शन’ था। वह लौकिक, दिव्यास्त्र व देवास्त्र तीनों रूपों में कार्य कर सकता था उसकी बराबरी के विध्वंसक केवल दो अस्त्र और थे पाशुपतास्त्र ( शिव , कॄष्ण और अर्जुन के पास थे) और प्रस्वपास्त्र ( शिव , वसुगण , भीष्म और कृष्ण के पास थे) । 4. भगवान् श्री कॄष्ण की परदादी ‘मारिषा’ व सौतेली मां रोहिणी( बलराम की मां) ‘नाग’ जनजाति की थीं. 5. भगवान श्री कॄष्ण से जेल में बदली गई यशोदापुत्री का नाम एकानंशा था, जो आज विंध्यवासिनी देवी के नाम से पूजी जातीं हैं। 6. भगवान् श्री कॄष्ण की प्रेमिका ‘राधा’ का वर्णन महाभारत, हरिवंशपुराण, विष्णुपुराण व भागवतपुराण में नहीं है। उनका उल्लेख बॄम्हवैवर्त पुराण, गीत गोविंद व प्रचलित जनश्रुतियों म...
कलश का हमारे धार्मिक अनुष्ठानों या शादी ब्याह एक महत्वपूर्ण स्थान है ...शास्त्रों के अनुसार कलश को सुख समृद्धि , ऐश्वर्य और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है .....बिना कलश स्थापना के कोई भी धार्मिक अनुष्ठान पूरा नहीं होता...एक सादा सा लोटा पानी पीने के काम आता है तो वही उसमे आम का पल्लव और हल्दी कुमकुम का स्वस्तिक बनाकर लाल पीला कलावा बांधकर उसे पूजन मे भी उपयोग होता है.....नौरात्र हो या कोई पूजन कलश स्थापना सबसे पहले की जाती है इसके पश्चात पूजन ............कभी ये कलश मिट्टी का तो कभी फूले पीतल के लोटे का पर मान्यता दोनों की अपनी अपनी जगह पर महत्वपूर्ण है ......पूजा करते समय कलश जहां स्थापित करना हो, वहां हल्दी से अष्टदल बनाया जाता है। उसके ऊपर चावल रखे जाते हैं। चावल के ऊपर कलश रखा जाता है। कलश में जल, दूर्वा, चंदन, पंचामृत, सुपारी, हल्दी, चावल, सिक्का, लौंग, इलायची, पान, सुपारी आदि शुभ चीजें डाली जाती हैं। इसके बाद कलश के ऊपर स्वस्तिक बनाया जाता है। कलश के ऊपर आम के पत्तों के साथ नारियल रखा जाता है। कुछ लोग कलश पर नारियल को लाल कपड़े से लपेट कर रखते हैं। इसके ...
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