क्या आपको भी प्रमाण चाहिए... कि भगवान वास्तव में है...🙏🙏
क्या #भगवान मौजूद हैं?
ये बिलकुल ऐसा ही है की एक #गर्भ में बैठा हुआ छोटा बच्चा सवाल करे कि क्या माँ होती हैं?
अगर होती हैं, तो अभी कहाँ हैं, दिखती क्यों नहीं हैं।
एक मां के पेट में दो बच्चे थे। एक ने दूसरे से पूँछा:
"आप प्रसव के बाद जीवन में #विश्वास करते हो?"
दूसरे ने कहा, "क्यों, बिल्कुल। #प्रसव के बाद कुछ जरुर होगा। शायद, हम बाद में क्या होगा, इसके लिए खुद को तैयार करने के लिए यहाँ हैं।"
"बकवास" पहले ने कहा। "प्रसव के बाद कोई #जीवन नहीं है। यहाँ से बाहर किस तरह का जीवन हो सकता है?"
दूसरा- मैं नहीं जानता, लेकिन यहाँ की तुलना में बाहर अधिक प्रकाश होगा!
उस ने फिर कहा, "हो सकता है कि हम अपने पैरों के साथ चलेंगे और हमारे मुंह से खाना जाएगा।
ये सब हो सकता है पर अभी हम नहीं समझ सकते कि अन्य इंद्रियों के साथ और क्या सब कर सकते हैं!"
पहले ने फिर कहा "यह बेतुका है, चलना असंभव है। और हमारे मुंह से खाना जायेगा ये सिर्फ हास्यास्पद हैं।
#गर्भनाल पोषण की और वह सब कुछ #आपूर्ति करती है जिसकी हमें जरूरत है।
लेकिन गर्भनाल इतना छोटा है की प्रसव के बाद जीवन को तार्किक रूप से असंभव समझा जाना चाहिए।"
दूसरे ने फिर जोर दिया कि "वैसे मेरे हिसाब से यहाँ से बाहर कुछ है और यह हो सकता है, यहाँ की तुलना में अलग है,"
"हो सकता है कि अब हमें इस गर्भनाल की जरूरत ही नहीं होगी।"
पहले ने कहा, "बकवास। जीवन अगर इसके अलावा है कहीं तो, फिर क्यों कोई भी कभी भी वहाँ से वापस नहीं आया है?
डिलिवरी जीवन का #अंत है, और उसके बाद जीवन में सिर्फ अंधेरा सन्नाटा और गुमनामी हैं।"
"ठीक है, मैं नहीं जानता," दूसरा बोला, "लेकिन निश्चित रूप से हम #माँ से मिलेंगे और वह हमारा #ध्यान रखेगी।"
"माँ !" "आप वास्तव में माँ में विश्वास करते हैं? यह हास्यास्पद है। माँ अगर #मौजूद है, तो वह अभी कहाँ हैं?" पहले ने जोर देके कहा।
दूसरे ने कहा "वह हमारे चारों तरफ है, हम उससे घिरे हैं। हम उसके अन्दर ही रहते हैं उसके बिना इस #दुनिया का अस्तित्व ही नहीं हो सकता हैं।"
पहले ने कहा: "#तार्किकता के हिसाब से चूँकि हम उसे देख नहीं सकते इसलिए वह मौजूद भी नहीं है।"
इस पर दूसरे बच्चे ने कहा कि "आप जब मौन रहते हैं या जब आप ध्यान केंद्रित करते हैं तब आप उसकी उपस्थिति अनुभव कर सकते हैं, और दूर से आती उसकी आवाज़ भी सुन सकते हैं।"
इसका तात्पर्य यह है कि.....
यदि, हम किसी विषय/तथ्य को प्रत्यक्षतः सिद्ध नहीं कर सकते अथवा देख नहीं सकते,
तो इसका अर्थ है कि हमारे पास समुचित ज्ञान, संसाधन वा अनुकूल परिस्थितियाँ नहीं हैं।
इसका मतलब ये कतई नहीं कि वह तथ्य ही गलत है।
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